माल-ओ-ज़र अहल-ए-दुवल सामने यूँ गिनते हैं
हम फ़क़ीरों ने न कुछ सर्फ़ किया हो जैसे
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Javed Akhtar
Gulzar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
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ये भी इक रात कट ही जाएगी
वुसअ'त-ए-दामान-ए-दिल को ग़म तुम्हारा मिल गया
निगाह-ए-मेहर कहाँ की वो बरहमी भी गई
खनक जाते हैं जब साग़र तो पहरों कान बजते हैं
निगाह-ए-शौक़ से लाखों बना डाले हैं दर हम ने
मिट चुके जो भी थे तौबा-शिकनी के अस्बाब
ज़िंदाँ में आचानक है ये क्या शोर-ए-सलासिल
मय-ख़ाना-ए-हस्ती में साक़ी हम दोनों ही मुजरिम हैं शायद
महव यूँ हो गए अल्फ़ाज़-ए-दुआ वक़्त-ए-दुआ
धुआँ देता है दामान-ए-मोहब्बत
सितारे की तरह सीने में दिल डूबा किया लेकिन