तुझे क्या ख़बर मिरे बे-ख़बर मिरा सिलसिला कोई और है
जो मुझी को मुझ से बहम करे वो गुरेज़-पा कोई और है
Anwar Masood
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Gulzar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Habib Jalib
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
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मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलता
वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थी
रचे-बसे हुए लम्हों से जब हिसाब हुआ
इंजील-ए-रफ़्तगाँ की हदीसों के साथ हूँ
दिया सा दिल के ख़राबे में जल रहा है मियाँ
अदावतें थीं, तग़ाफ़ुल था, रंजिशें थीं बहुत
सबा का नर्म सा झोंका भी ताज़ियाना हुआ
हम-रही की बात मत कर इम्तिहाँ हो जाएगा
आज की रात उजाले मिरे हम-साया हैं
कोई आवाज़ न आहट न ख़याल ऐसे में