हो आँखें तो देख मेरे ग़म की तहरीर
पढ़ना हो तो पढ़ दीदा-ए-नम की तहरीर
ऐ मौत ख़ुश-आमदीद इंशा-अल्लाह
ज़िंदा मुझे रक्खेगी क़लम की तहरीर
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गूँगे अल्फ़ाज़ को नवा देता है
बेदारी-ए-एहसास है उलझन मेरी
शाएर शाएर है हो जो अहल-ए-ईमाँ
हर बात को पहले तौलता है शाएर
मश्शातगी-ए-ज़ुल्फ़-ए-सुख़न का एहसास
एहसास को लफ़्ज़ों में पिरोने का फ़न
जब बोलो तो बोलो ऐसे कलेमात