देखेंगे हम इक निगाह उस को
कुछ होश अगर बजा रहेगा
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Gulzar
Allama Iqbal
Rahat Indori
Habib Jalib
Anwar Masood
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(249) Peoples Rate This
हम उस की जफ़ा से जी में हो कर दिल-गीर
मियाँ दिल तुझे ले चले हुस्न वाले
ग़रज़ न सर की ख़बर थी न पा का होश 'नज़ीर'
मिरी इस चश्म-ए-तर से अब्र-ए-बाराँ को है क्या निस्बत
वामाँदगान-ए-राह तो मंज़िल पे जा पड़े
ये छपके का जो बाला कान में अब तुम ने डाला है
अव्वलन उस बे-निशाँ और बा-निशाँ को इश्क़ है
पान उस के लबों पे इस क़दर है ज़ेबा
बज़्म-ए-तरब वक़्त-ए-ऐश साक़ी ओ नक़्ल ओ शराब
पैसा
ना-ख़ुश दिखा के जिस को नाज़-ओ-इताब कीजे
न गुल अपना न ख़ार अपना न ज़ालिम बाग़बाँ अपना