मैं एक पल में अँधेरे से हार जाऊँगा
तमाम उम्र चराग़ों के बीच गुज़री है
Jaun Eliya
Habib Jalib
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Allama Iqbal
Anwar Masood
Gulzar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(431) Peoples Rate This
मिला है अपने होने का निशाँ इक
रौशनी का साथ महँगा पड़ गया है
तेरे हिस्से का बच गया है कुछ
रात अब अपने इख़्तिताम पे है
यूँ तो मेरा सफ़र था सहरा तक
जुनूँ को ढाल बनाया तो बच गए वर्ना
यहाँ पर मिरा कुछ भी था ही नहीं
बढ़ गया मोल ज़िंदगानी का
ज़ेर-ए-लब हम ने तिश्नगी कर ली
चूड़ियाँ क्यूँ उतार दीं तुम ने
उन का दीदार मेरी क़िस्मत में
मैं हवा के दोश पे रक्खा हुआ