जिस के हुस्न की शोहरत मुझ पे बार गुज़री थी

जिस के हुस्न की शोहरत मुझ पे बार गुज़री थी

आज फिर वही लड़की राह रोके ठहरी थी

वहम की निगाहों ने कितने हादसे देखे

ख़त्त-ए-पेश-ए-मंज़र पर एक काली बिल्ली थी

साँप सूँघ जाता था जो उसे बरतता था

देखने में वो औरत शहद की कटोरी थी

रूह में उभरती थी तेरे क़ुर्ब की ख़्वाहिश

मैं ने अपने होंटों पे तेरी प्यास देखी थी

हिद्दतों की बारिश में सूखती थीं शिरयानें

छाँव की तलब मेरे सेहन-ए-दिल में उगती थी

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In Hindi By Famous Poet Niyaz Husain Lakhwera. is written by Niyaz Husain Lakhwera. Complete Poem in Hindi by Niyaz Husain Lakhwera. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.