रेत पे साहिल की अपने नक़्श-ए-पा छोड़ आए हैं

रेत पे साहिल की अपने नक़्श-ए-पा छोड़ आए हैं

ऐ हवा तेरे लिए अपना पता छोड़ आए हैं

लौट कर देखेंगे उस के आगे उस ने क्या लिखा

डाइरी में उस की इक पन्ना मुड़ा छोड़ आए हैं

यूँ असर-अंदाज़ अकेले-पन का दुख हम पे हुआ

तोते के पिंजरे को आँगन में खुला छोड़ आए हैं

शहर में आ कर भटकते फिर रहे हैं दर-ब-दर

सीधा सा हर रस्ता अपने गाँव का छोड़ आए हैं

गुज़रे क्यूँ मायूस हो कर सूरत-ए-साइल हुआ

इक दिया दहलीज़ पर जलता हुआ छोड़ आए हैं

जाले बुन कर मकड़ियाँ महफ़ूज़ रखेंगी उसे

वक़्त-ए-रुख़्सत घर में नाम अल्लाह का छोड़ आए हैं

उस के ख़ाली-पन को भी भरने की सोचें ऐ 'नियाज़'

वैसे तो राशन का हर डिब्बा भरा छोड़ आए हैं

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In Hindi By Famous Poet Niyaz Jairajpuri. is written by Niyaz Jairajpuri. Complete Poem in Hindi by Niyaz Jairajpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.