ख़ुदा आख़िर करेगा ख़ुश मिरा दिल
मुझे अपने तवक्कुल की क़सम है
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सोहबत न रख अग़्यार सूँ बेज़ार मत कर यार कूँ
ख़ूब है आशिक़ सूँ मिल रहना सजन
ऐ बुलबुल-ए-दिल दौड़ के जानाँ कूँ पहुँच तूँ
ऐ जवानाँ नौ-बहाराँ में क़दह-नोशी करो
तुझ चेहरा-ए-गुल-रंग नीं ख़ूबाँ को गुल-गूनी दिया
मुँह किताबी तेरा बयाज़ी नईं
तिरा बुलबुल हूँ तुझ गुल की क़सम है
फ़रियाद कि वो शोख़ सितमगार न आया
रास्ती से तुझ कूँ करना है निबाह
हुस्न के डंके की धूम जग में पड़ी जा-ब-जा
सद-हैफ़ कि कमज़ोर है चश्मान बुढ़ापा