सोहबत न रख अग़्यार सूँ बेज़ार मत कर यार कूँ
जाता रहेगा हाथ सूँ उस की निगहबानी करो
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दिलबर-ए-बे-बाक सूँ ख़ूब नहीं बोलना
तुझ बुत का हूँ मैं बरहमन कर्तार की सौगंद है
ऐ बुलबुल-ए-दिल दौड़ के जानाँ कूँ पहुँच तूँ
मुँह किताबी तेरा बयाज़ी नईं
मिरा प्यारा है ना-फ़रमाँ हमेशा और प्यारों में
हुस्न के डंके की धूम जग में पड़ी जा-ब-जा
ख़ुदा आख़िर करेगा ख़ुश मिरा दिल
रास्ती से तुझ कूँ करना है निबाह
फ़रियाद कि वो शोख़ सितमगार न आया
सद-हैफ़ कि कमज़ोर है चश्मान बुढ़ापा
ख़ूब है आशिक़ सूँ मिल रहना सजन