निसार-ए-शमअ' होने बज़्म में परवाना आ पहुँचा

निसार-ए-शमअ' होने बज़्म में परवाना आ पहुँचा

क़रीब-ए-मंज़िल-ए-दीवानगी दीवाना आ पहुँचा

तराने हम्द के गुलशन में बर्ग-ए-गुल से सुनता हूँ

ज़बान-ए-ग़ुन्चा पे क्यूँकर तिरा अफ़्साना आ पहुँचा

इसे कहते हैं मिल कर ख़ाक में इक्सीर हो जाना

हुआ सरसब्ज़ वो ज़ेर-ए-ज़मीं जो दाना आ पहुँचा

सफ़र इस बज़्म से करने को फिर रजअ'त की ठानी है

गले फिर आज मिलने शम्अ' से परवाना आ पहुँचा

रक़म है दास्तान-ए-इश्क़-ए-बुलबुल पत्ते पत्ते पर

गुलों तक किस तरह गुलशन में ये अफ़्साना आ पहुँचा

खिंची थी क्या तिरी तस्वीर तरकीब-ए-अनासिर से

कि मुश्त-ए-ख़ाक में अंदाज़-ए-माशूक़ाना आ पहुँचा

परस्तार-ए-सनम हो कर जो ढूँडी राह का'बा की

क़दम बहका हुआ अपना सर-ए-मय-ख़ाना आ पहुँचा

बनेंगे आज फिर सरमस्त सहबा-ए-सुख़न 'रौनक़'

क़दम फिर अपना क़ुर्ब-ए-महफ़िल-ए-रिंदाना आ पहुँचा

(374) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Piyare Lal Raunaq Dehlwi. is written by Piyare Lal Raunaq Dehlwi. Complete Poem in Hindi by Piyare Lal Raunaq Dehlwi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.