बा-ख़बर था इक नज़र में दो-जहाँ ले जाएगा

बा-ख़बर था इक नज़र में दो-जहाँ ले जाएगा

मेरी जाँ बन कर वो इक दिन मेरी जाँ ले जाएगा

आख़री हिचकी से पहले चारा-गर से पूछ लूँ

जो नज़र आता नहीं रिश्ता कहाँ ले जाएगा

मय-कदा दैर-ओ-हरम या कोई दिवानों कि बज़्म

तुझ से ये बिछड़ा हुआ लम्हा कहाँ ले जाएगा

वो जो पिछले साल सब खेतों को सोना दे गया

अब के वो तूफ़ान किस किस का मकाँ ले जाएगा

वो चला जाएगा मुझ से कर के इक़रार-ए-वफ़ा

तोड़ जाएगा सफ़ीना बादबाँ ले जाएगा

इश्क़ में उस ने जलाना ही नहीं सीखा कभी

आग दे जाएगा मुझ को ख़ुद धुआँ ले जाएगा

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In Hindi By Famous Poet Qamar Jalalabadi. is written by Qamar Jalalabadi. Complete Poem in Hindi by Qamar Jalalabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.