वो मेरा दोस्त है सारे जहाँ को है मालूम
दग़ा करे वो किसी से तो शर्म आए मुझे
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क्या जाने किस ख़ुमार में किस जोश में गिरा
यूँ बरसती हैं तसव्वुर में पुरानी यादें
रहेगा साथ तिरा प्यार ज़िंदगी बन कर
तुम्हारी बे-रुख़ी ने लाज रख ली बादा-ख़ाने की
अभी तो बात करो हम से दोस्तों की तरह
गाते हुए पेड़ों की ख़ुनुक छाँव से आगे निकल आए
आती है तो खिलती है गुलाबों की तरह
शम्अ जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए
फ़सुर्दगी का मुदावा करें तो कैसे करें
दीवाली
लम्हों की परस्तार
हम को तो इंतिज़ार-ए-सहर भी क़ुबूल है