Ghazals of Rahi Shahabi

Ghazals of Rahi Shahabi
नामराही शहाबी
अंग्रेज़ी नामRahi Shahabi
जन्म की तारीख1934
मौत की तिथि2005
जन्म स्थानUttar Pradesh

शोरिश-ए-पैहम भी है अफ़्सुर्दगी-ए-दिल भी है

शाम-ए-ग़म बीमार के दिल पर वो बन आई कि बस

साथ ले कर अपनी बर्बादी के अफ़्साने गए

नाकाम मेरी कोशिश-ए-ज़ब्त-ए-अलम नहीं

न शिकवे हैं न फ़रियादें न आहें हैं न नाले हैं

मय मिले या न मिले रस्म निभा ली जाए

मय मिले या न मिले रस्म निभा ली जाए

हर दौर में हर अहद में ताबिंदा रहेंगे

हर दौर में हर अहद में ताबिंदा रहेंगे

दिल वाले हैं हम रस्म-ए-वफ़ा हम से मिली है

दिल वाले हैं हम रस्म-ए-वफ़ा हम से मिली है

दिल की बर्बादी के आसार अभी बाक़ी हैं

बे-नाम सी ख़लिश कि जो दिल में जिगर में है

अश्क आँखों में और दिल में आहों के शरर देखे

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