Ghazals of Riyaz Khairabadi (page 3)

Ghazals of Riyaz Khairabadi (page 3)
नामरियाज़ ख़ैराबादी
अंग्रेज़ी नामRiyaz Khairabadi
जन्म की तारीख1853
मौत की तिथि1934
जन्म स्थानKhairabad

जी उठे हश्र में फिर जी से गुज़रने वाले

जवानी मय-ए-अरग़वानी से अच्छी

जफ़ा में नाम निकालो न आसमाँ की तरह

जाने वाले न हम उस कूचे में आने वाले

इश्क़ में दिल-लगी सी रहती है

हम भी पिएँ तुम्हें भी पिलाएँ तमाम रात

होगी वो दिल में जो ठानी जाएगी

हो के बेताब बदल लेते थे अक्सर करवट

हंस के पैमाना दिया ज़ालिम ने तरसाने के बा'द

गुलों के पर्दे में शक्लें हैं मह-जबीनों की

गुल मुरक़्क़ा' हैं तिरे चाक गरेबानों के

ग़रीब हम हैं ग़रीबों की भी ख़ुशी हो जाए

फ़रियाद-ए-जुनूँ और है बुलबुल की फ़ुग़ाँ और

दुनिया से अलग हम ने मयख़ाने का दर देखा

दिल-जलों से दिल-लगी अच्छी नहीं

दिल ढूँढती है निगह किसी की

दर्द हो तो दवा करे कोई

दर्द हो तो दवा करे कोई

दर खुला सुब्ह को पौ फटते ही मय-ख़ाने का

छेड़ते हैं गुदगुदाते हैं फिर अरमाँ आज-कल

बहुत ही पर्दे में इज़हार-ए-आरज़ू करते

बात दिल की ज़बान पर आई

बाम पर आए कितनी शान से आज

बाला-ए-बाम ग़ैर है में आस्तान पर

अक्स पर यूँ आँख डाली जाएगी

अगर उन के लब पर गिला है किसी का

आरज़ू भी तो कर नहीं आती

आप आए तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया

आईना देखते ही वो दीवाना हो गया

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