Ghazals of Riyaz Khairabadi

Ghazals of Riyaz Khairabadi
नामरियाज़ ख़ैराबादी
अंग्रेज़ी नामRiyaz Khairabadi
जन्म की तारीख1853
मौत की तिथि1934
जन्म स्थानKhairabad

ज़िद हमारी दुआ से होती है

ज़रूर पाँव में अपने हिना वो मल के चले

ये सीधे जो अब ज़ुल्फ़ों वाले हुए हैं

ये सर-ब-मोहर बोतलें हैं जो शराब की

ये कोई बात है सुनता न बाग़बाँ मेरी

ये कहाँ से हम गए हैं कहाँ कहें क्या तिरी तग-ओ-ताज़ में

ये कहाँ लगी ये कहाँ लगी जो क़फ़स से शोर-ए-फ़ुग़ाँ उठा

ये काफ़िर बुत जिन्हें दावा है दुनिया में ख़ुदाई का

ये गवारा कि मिरा दस्त-ए-तमन्ना बाँधे

ये बला मेरे सर चढ़ी ही नहीं

वो कौन है दुनिया में जिसे ग़म नहीं होता

वो हों मुट्ठी में उन की दिल हो हम हों

वो गुल हैं न उन की वो हँसी है

वा'दा था जिस का हश्र में वो बात भी तो हो

उतरी है आसमाँ से जो कल उठा तो ला

उस हुस्न का शैदा हूँ उस हुस्न का दीवाना

उन के होते कौन देखे दीदा-ओ-दिल का बिगाड़

उफ़ रे उभार उफ़ रे ज़माना उठान का

थी ज़र्फ़-ए-वज़ू में कोई शय पी गए क्या आप

थका ले और दौर-ए-आसमाँ तक

तेज़ है पीने में हो जाएगी आसानी मुझे

सुब्ह है रात कहाँ अब वो कहाँ रात की बात

सितम-ए-ना-रवा को रोते हैं

रूठे हुए कि अपने ज़रा अब मनाए ज़ुल्फ़

'रियाज़' इक चुलबुला सा दिल हो हम हों

रंग पर कल था अभी लाला-ए-गुलशन कैसा

रहे हम आशियाँ में भी तो बर्क़-ए-आशियाँ हो कर

पी ली हम ने शराब पी ली

पाया जो तुझे तो खो गए हम

पर्दे पर्दे में ये कर लेती हैं राहें क्यूँकर

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