किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
हम ज़िंदगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
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Gulzar
Javed Akhtar
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Jaun Eliya
Rahat Indori
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रंगों में तेरा अक्स ढला तू न ढल सकी
पोंछ कर अश्क अपनी आँखों से मुस्कुराओ तो कोई बात बने
मैं ने चाँद और सितारों की तमन्ना की थी
शहज़ादे
संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है
अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ
इंसाफ़ का तराज़ू जो हाथ में उठाए
जज़्बात भी हिन्दू होते हैं चाहत भी मुसलमाँ होती है
ख़ूबसूरत मोड़
एक मंज़र
मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़