लिबास-ए-दर्द भी हम ने उतारा
ये कपड़े अब पुराने हो चुके हैं
Anwar Masood
Gulzar
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Habib Jalib
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
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नींद से पहले
वो मिरे दिल की रौशनी वो मिरे दाग़ ले गई
तिरी जानिब से दिल में वसवसे हैं
रस्म-ए-जहाँ न छूट सकी तर्क-ए-इश्क़ से
कल नशात-ए-क़ुर्ब से मौसम बहार-अंदाज़ा था
कैसे क़िस्से थे कि छिड़ जाएँ तो उड़ जाती थी नींद
'सलीम' दिल को मयस्सर सकूँ ज़रा न हुआ
सोच में गुम बे-कराँ पहनाइयाँ
आफ़ाक़
जिस आग से दिल सुलग रहे थे
शायद कोई बंदा-ए-ख़ुदा आए
जाने किसी ने क्या कहा तेज़ हवा के शोर में