कोई नहीं जो पता दे दिलों की हालत का
कि सारे शहर के अख़बार हैं ख़बर के बग़ैर
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निकल गए हैं जो बादल बरसने वाले थे
दिल हुस्न को दान दे रहा हूँ
वो मिरे दिल की रौशनी वो मिरे दाग़ ले गई
मुझे हर्फ़-ए-ग़लत समझा था तू ने
मैं उस को भूल गया था वो याद सा आया
जितना आँख से कम देखूँ
आँखों में सितारे से चमकते रहे ता-देर
कोई सितारा-ए-गिर्दाब आश्ना था मैं
वो जुनूँ को बढ़ाए जाएँगे
इतनी काविश भी न कर मेरी असीरी के लिए
हाल-ए-दिल ना-गुफ़्तनी है हम जो कहते भी तो क्या
मंज़िल-ए-बे-जहत की ख़ैर सई-ए-सफ़र है राएगाँ