निकल गए हैं जो बादल बरसने वाले थे
ये शहर आब को तरसेगा चश्म-ए-तर के बग़ैर
Anwar Masood
Javed Akhtar
Allama Iqbal
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Parveen Shakir
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
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ये कैसे लोग हैं सदियों की वीरानी में रहते हैं
बुरा लगा मिरे साक़ी को ज़िक्र-ए-तिश्ना-लबी
नहीं रहा मैं तिरे रास्ते का पत्थर भी
कोई सितारा-ए-गिर्दाब आश्ना था मैं
हाल-ए-दिल कौन सुनाए उसे फ़ुर्सत किस को
नया मकान
याद ने आ कर यकायक पर्दा खींचा दूर तक
इश्क़ में जिस के ये अहवाल बना रक्खा है
वो मिरे दिल की रौशनी वो मिरे दाग़ ले गई
दिल हुस्न को दान दे रहा हूँ
जो दिल में हैं दाग़ जल रहे हैं
उस एक चेहरे में आबाद थे कई चेहरे