अजब कि सब्र की मीआद बढ़ती जाती है
ये कौन लोग हैं फ़रियाद क्यूँ नहीं करते
Gulzar
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
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नए चराग़ जला याद के ख़राबे में
वो आग हूँ कि नहीं चैन एक आन मुझे
वो दुख जो सोए हुए हैं उन्हें जगा दूँगा
छुप के मिलने आ जाए रौशनी की जुरअत क्या
नौहा
मुहासरा
मैं खिल नहीं सका कि मुझे नम नहीं मिला
मुझ को मिरी शिकस्त की दोहरी सज़ा मिली
मस्ताना हीजड़ा
ख़्वाब को दिन की शिकस्तों का मुदावा न समझ
वही जीने की आज़ादी वही मरने की जल्दी है
ख़रगोश की सरगुज़िश्त