नए चराग़ जला याद के ख़राबे में
वतन में रात सही रौशनी मनाया कर
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इक याद की मौजूदगी सह भी नहीं सकते
वक़्त अभी पैदा न हुआ था तुम भी राज़ में थे
रास्ता दे कि मोहब्बत में बदन शामिल है
तुझ से मिलने का रास्ता बस एक
जान प्यारी थी मगर जान से बे-ज़ारी थी
हादसा ये है कि हम जाँ न मोअत्तर कर पाए
वो सख़ी है तो किसी रोज़ बुला कर ले जाए
पाँव मारा था पहाड़ों पे तो पानी निकला
आग हो दिल में तो आँखों में धनक पैदा हो
ख़ाली बोरे में ज़ख़्मी बिल्ला
उस के वारिस नज़र नहीं आए