तुझ से मिलने का रास्ता बस एक
और बिछड़ने के रास्ते हैं बहुत
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ख़्वाब को दिन की शिकस्तों का मुदावा न समझ
बाद-ए-निस्याँ है मिरा नाम बता दो कोई
बाहर के असरार लहू के अंदर खुलते हैं
ख़ाली बोरे में ज़ख़्मी बिल्ला
एक एक कर के लोग बिछड़ते चले गए
मेरी अय्यार निगाहों से वफ़ा माँगता है
ज़मानों के ख़राबों में उतर कर देख लेता हूँ
सुर्ख़ गुलाब और बदर-ए-मुनीर
रात नादीदा बलाओं के असर में हम थे
मिट्टी थी ख़फ़ा मौज उठा ले गई हम को
रास्ता दे कि मोहब्बत में बदन शामिल है
तुझे ख़बर है तुझे याद क्यूँ नहीं करते