तू जान-ए-मोहब्बत है मगर तेरी तरफ़ भी
इक ख़्वाहिश-ए-तश्हीर-ए-वफ़ा ले गई हम को
Parveen Shakir
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Habib Jalib
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Ahmad Faraz
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मुझे ख़बर थी मिरा इंतिज़ार घर में रहा
मेरे अंदर उसे खोने की तमन्ना क्यूँ है
सोच में डूबा हुआ हूँ अक्स अपना देख कर
डस्टबिन
इक याद की मौजूदगी सह भी नहीं सकते
सदमा
हिरास फैल गया है ज़मीन-दानों में
मैं अपने शहर से मायूस हो के लौट आया
मैं एक रात मोहब्बत के साएबान में था
यूँ मिरे पास से हो कर न गुज़र जाना था
ख़ाक नींद आए अगर दीदा-ए-बेदार मिले