इक याद की मौजूदगी सह भी नहीं सकते
ये बात किसी और से कह भी नहीं सकते
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Wasi Shah
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Gulzar
Rahat Indori
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ये किस ने भरम अपनी ज़मीं का नहीं रक्खा
नए चराग़ जला याद के ख़राबे में
हमल-सरा
मैं किसी जवाज़ के हिसार में न था
तुझे ख़बर है तुझे याद क्यूँ नहीं करते
छुप के मिलने आ जाए रौशनी की जुरअत क्या
सदमा
एक कुत्ता नज़्म
हैरानी में हूँ आख़िर किस की परछाईं हूँ
एक सुअर से
मुझ को मिरी शिकस्त की दोहरी सज़ा मिली