पाते रहे ये फ़ैज़ तिरी बे-रुख़ी से हम

पाते रहे ये फ़ैज़ तिरी बे-रुख़ी से हम

गोया कि दूर होते रहे ज़िंदगी से हम

ग़म दाइमी है और ख़ुशी आरज़ी सी चीज़

इस वास्ते क़रीब नहीं हैं ख़ुशी से हम

महसूस तुम से मिल के हुआ हम को पहली बार

हैं हम-कनार आज मुजस्सम ख़ुशी से हम

इक दौर था लिखा था मिरे दिल पे तेरा नाम

हैं आज तेरी बज़्म में इक अजनबी से हम

जलने से आशियाँ के चराग़ाँ सा हो गया

महरूम हो चुके थे नई रौशनी से हम

है ज़िंदगी की शाम नहीं हम-नवा कोई

हर सम्त देखते हैं अजब बेकसी से हम

तख़रीब-ए-काएनात है इंसान-दुश्मनी

'सरताज' कह रहे हैं ये हर आदमी से हम

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In Hindi By Famous Poet Sartaj Alam Abidi. is written by Sartaj Alam Abidi. Complete Poem in Hindi by Sartaj Alam Abidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.