देख कर मुझ को तुझे क्यूँ है तहय्युर नासेह
मशरब-ए-इश्क़ है ये मज़हब-ए-इस्लाम नहीं
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इस दिल में अगर जल्वा-ए-दिल-दार न होता
क्या कहूँ तुम से मैं यारो कौन हूँ
लश्कर-ए-इश्क़ आ पड़ा है मुल्क-ए-दिल पर टूट टूट
मुझे साक़ी-ए-चश्म-ए-यार ने अजब एक जाम पिला दिया
शक्ल-ए-जानाना जा-ब-जा हैं हम
क़ैद-ए-दिल से है मिरी काकुल-ए-पेचाँ नाज़ाँ
कोई दम थमता नहीं बारान-ए-अश्क
है अयाँ रू-ए-यार आँखों में
कौन-ओ-मकाँ में यारो आबाद हैं तो हम हैं
अजब तू ने जल्वा दिखाया मुझे
दस्तियाब उस को हुआ जब से है गुल-दस्ता-ए-दाग़