है अयाँ रू-ए-यार आँखों में
छाई है क्या बहार आँखों में
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बंदा-ए-इश्क़ हूँ जुज़ यार मुझे काम नहीं
इश्क़ के अक़्लीम में चाल-ओ-चलन कुछ और है
क़ैद-ए-दिल से है मिरी काकुल-ए-पेचाँ नाज़ाँ
अफ़्साना मिरे दिल का दिल-आज़ार से कह दो
दस्तियाब उस को हुआ जब से है गुल-दस्ता-ए-दाग़
शक्ल-ए-जानाना जा-ब-जा हैं हम
काफ़िर-ए-इश्क़ हुआ जब से मैं इस दहर में हूँ
है फ़ना बिस्मिल्लाह-ए-दीवान-ए-इश्क़
लश्कर-ए-इश्क़ आ पड़ा है मुल्क-ए-दिल पर टूट टूट
मुझे साक़ी-ए-चश्म-ए-यार ने अजब एक जाम पिला दिया
इस्लाम और कुफ़्र हमारा ही नाम है