फलों के साथ कहीं घोंसले न गिर जाएँ
ख़याल रखता हूँ पत्थर उछालता हुआ मैं
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बस रूह सच है बाक़ी कहानी फ़रेब है
अब तिरी याद से वहशत नहीं होती मुझ को
मैं आप अपनी मौत की तय्यारियों में हूँ
मैं तो ख़ुद बिकने को बाज़ार में आया हुआ हूँ
बिन माँगे मिल रहा हो तो ख़्वाहिश फ़ुज़ूल है
ज़ब्त-ए-ग़म है मिरी पोशाक मिरी इज़्ज़त रख
यार भी राह की दीवार समझते हैं मुझे
मिरे ख़ुदा किसी सूरत उसे मिला मुझ से
रौशनी बाँटता हूँ सरहदों के पार भी मैं
ज़ंजीर कट के क्या गिरी आधे सफ़र के बीच