बिन माँगे मिल रहा हो तो ख़्वाहिश फ़ुज़ूल है
सूरज से रौशनी की गुज़ारिश फ़ुज़ूल है
Habib Jalib
Allama Iqbal
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Gulzar
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(686) Peoples Rate This
रात सी नींद है महताब उतारा जाए
यार भी राह की दीवार समझते हैं मुझे
ज़ब्त-ए-ग़म है मिरी पोशाक मिरी इज़्ज़त रख
बस रूह सच है बाक़ी कहानी फ़रेब है
ज़र-ए-सरिश्क फ़ज़ा में उछालता हुआ मैं
रौशनी बाँटता हूँ सरहदों के पार भी मैं
बिछड़ गया था कोई ख़्वाब-ए-दिल-नशीं मुझ से
मैं आप अपनी मौत की तय्यारियों में हूँ
क्या कहूँ कैसे इज़्तिरार में हूँ
मिरे ख़ुदा किसी सूरत उसे मिला मुझ से