मिरी ख़ुशी से मिरे दोस्तों को ग़म है 'शमीम'
मुझे भी इस का बहुत ग़म है क्या किया जाए
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Rahat Indori
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Gulzar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(635) Peoples Rate This
दुनिया है कि गोशा-ए-जहन्नम
गो तही-दामन हूँ लेकिन ग़म नहीं
सफ़ीना वो कभी शायान-ए-साहिल हो नहीं सकता
तर्क-ए-मोहब्बत पर भी होगी उन को नदामत हम से ज़ियादा
न पूछ कब से ये दम घुट रहा है सीने में
ये दौर-ए-अहल-ए-हवस है करम से काम न ले
तिरे अहल-ए-दर्द के रोज़-ओ-शब इसी कश्मकश में गुज़र गए
जब शिकायत थी कि तूफ़ाँ में सहारा न मिला
हमारे साथ जिसे मौत से हो प्यार चले
बा-वफ़ाई की अदा पाने लगा हूँ तुझ में
इस इल्तिफ़ात पर कोई दामन न थाम ले