शमीम जयपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शमीम जयपुरी

शमीम जयपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शमीम जयपुरी
नामशमीम जयपुरी
अंग्रेज़ी नामShamim Jaipuri
जन्म की तारीख1933

मिरी ख़ुशी से मिरे दोस्तों को ग़म है 'शमीम'

दुनिया है कि गोशा-ए-जहन्नम

बहुत तवील शब-ए-ग़म है क्या किया जाए

ज़रा भी जिस की वफ़ा का यक़ीन आया है

ज़मीं पे रह के दिमाग़ आसमाँ से मिलता है

ये दौर-ए-अहल-ए-हवस है करम से काम न ले

तिरे अहल-ए-दर्द के रोज़-ओ-शब इसी कश्मकश में गुज़र गए

तिरा जल्वा निहायत दिल-नशीं है

तर्क-ए-मोहब्बत पर भी होगी उन को नदामत हम से ज़ियादा

साहिल पे लाई और सफ़ीने डुबो दिए

सफ़ीना वो कभी शायान-ए-साहिल हो नहीं सकता

रौशनी लेने चले थे और अंधेरे छा गए

रहम ऐ ग़म-ए-जानाँ बात आ गई याँ तक

न पूछ कब से ये दम घुट रहा है सीने में

जो हँस हँस के हर ग़म गवारा करे है

जब सुब्ह का मंज़र होता है या चाँदनी-रातें होती हैं

जब शिकायत थी कि तूफ़ाँ में सहारा न मिला

इस इल्तिफ़ात पर कोई दामन न थाम ले

इलाही काश ग़म-ए-इश्क़ काम कर जाए

हर शय तुझी को सामने लाए तो क्या करूँ

हमारे साथ जिसे मौत से हो प्यार चले

गो तही-दामन हूँ लेकिन ग़म नहीं

गले लगा के जो सुनते थे दिल की आहों को

फ़ुर्क़त की भयानक रातों को इस तरह गुज़ारा करता हूँ

दुनिया-ए-मोहब्बत में हम से हर अपना पराया छूट गया

बे-गुनाही का हर एहसास मिटा दे कोई

बा-वफ़ाई की अदा पाने लगा हूँ तुझ में

आज मेरी शब-ए-फ़ुर्क़त की सहर आई है

आज जीने की कुछ उम्मीद नज़र आई है

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