तारीक रगें लहू से रौशन कर दे
तारीक रगें लहू से रौशन कर दे
शादाबी-ए-ज़र को ज़ेब-ए-दामन कर दे
ऐ शम-ए-फ़रोज़ाँ पस-ए-लौह-ए-सहरी
बादल आँखों को बर्क़-ए-मस्कन कर दे
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तारीक रगें लहू से रौशन कर दे
शादाबी-ए-ज़र को ज़ेब-ए-दामन कर दे
ऐ शम-ए-फ़रोज़ाँ पस-ए-लौह-ए-सहरी
बादल आँखों को बर्क़-ए-मस्कन कर दे
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