ग़ज़ल वही है जो हो शाख़-ए-गुल-निशाँ की तरह

ग़ज़ल वही है जो हो शाख़-ए-गुल-निशाँ की तरह

असर हो जिस में जमाल-ए-परी-रुख़ाँ की तरह

समझ रहे थे कि आसाँ है इश्क़ की मंज़िल

हवास उड़ने लगे गर्द-ए-कारवाँ की तरह

अगर है दिल में कशिश ख़ुद क़रीब आएँगे

अभी तो दूर हैं वो मुझ से आसमाँ की तरह

मसर्रतों के ख़ज़ीने भी उस पे क़ुर्बां हैं

अज़ीज़ मुझ को तिरा ग़म है अपनी जाँ की तरह

सुना है जब से मैं ख़लवत-गुज़ीं हूँ कुछ अहबाब

मिरी तलाश में हैं मर्ग-ए-ना-गहाँ की तरह

जहाँ जहाँ से गुज़रते हैं अहल-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा

नुक़ूश-ए-राह चमकते हैं कहकशाँ की तरह

सुख़न-शनास न हों जिस मक़ाम पर 'शारिक़'

वहाँ हैं शेर-ओ-ग़ज़ल जिंस-ए-राएगाँ की तरह

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In Hindi By Famous Poet Shariq Irayani. is written by Shariq Irayani. Complete Poem in Hindi by Shariq Irayani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.