उदासी के दलदल में गिरता हुआ दिल

उदासी के दलदल में गिरता हुआ दिल

बचाऊँ मैं कैसे ये मरता हुआ दिल

मैं उस की मोहब्बत में लबरेज़ दरिया

वो मुझ में उतर के उभरता हुआ दिल

सितारे ख़ला से अभी तोड़ लाऊँ

मगर आसमाँ से ये डरता हुआ दिल

कभी तुम ने देखा है बोलो बताओ

किसी आईने में सँवरता हुआ दिल

अयाँ उस की आँखों की शफ़्फ़ाफ़ियत में

धुले पानियों सा निखरता हुआ दिल

अटकता सँभलता सँभल के ठहरता

कठिन रास्तों से गुज़रता हुआ दिल

जतन लाख कर लो न आएगा क़ाबू

है इक मौज-ए-सरकश बिफरता हुआ दिल

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In Hindi By Famous Poet Shumaila Bahzad. is written by Shumaila Bahzad. Complete Poem in Hindi by Shumaila Bahzad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.