Ghazals of Sibt Ali Saba

Ghazals of Sibt Ali Saba
नामसिब्त अली सबा
अंग्रेज़ी नामSibt Ali Saba
जन्म की तारीख1935
मौत की तिथि1980

ज़र्द चेहरों से निकलती रौशनी अच्छी नहीं

मुसाफ़िरों में अभी तल्ख़ियाँ पुरानी हैं

मल्बूस जब हवा ने बदन से चुरा लिए

लहू में डूब के तलवार मेरे घर पहुँची

लब-ए-इज़हार पे जब हर्फ़-ए-गवाही आए

जलते जलते बुझ गई इक मोम-बत्ती रात को

हर इक क़दम पे ज़ख़्म नए खाए किस तरह

गाँव गाँव ख़ामोशी सर्द सब अलाव हैं

आँधी चली तो गर्द से हर चीज़ अट गई

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