शाहिदा हसन कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शाहिदा हसन

शाहिदा हसन  कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शाहिदा हसन
नामशाहिदा हसन
अंग्रेज़ी नामShahida Hasan
जन्म की तारीख1953

मैं ने उन सब चिड़ियों के पर काट दिए

वहशतों को भी अब कमाल कहाँ

ठहरा है क़रीब-ए-जान आ कर

सितारा-चश्म है और मेहरबाँ है

सवाद-ए-शाम से ता-सुब्ह-ए-बे-किनार गई

सारे पत्थर और आईने एक से लगते हैं

सराब-ए-शब भी है ख़्वाब-ए-शिकस्ता-पा भी है

सानेहा हो के रहा चश्म का मुरझा जाना

सलीक़ा इश्क़ में मेरा बड़े कमाल का था

सबब क्या है कभी समझी नहीं मैं

मिले जो नाक़ा-ए-वहशत को सारबाँ कोई

लम्स आहट के हवाओं के निशाँ कुछ भी नहीं

कोई तारा न दिखा शाम की वीरानी में

कोई सर्द हवा लब-ए-बाम चली

जब घर ही जुदा जुदा रहेगा

हवा पे चल रहा है चाँद राह-वार की तरह

एहसास तो मुझी पे कर रही है

चराग़-ए-शाम ही तन्हा नहीं है

चाँद के साथ जल उठी मैं भी

चाँद के साथ जल उठी मैं भी

बात कोई एक पल उस के ध्यान के आने की थी

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