ये सिखाया है दोस्ती ने हमें
दोस्त बन कर कभी वफ़ा न करो
Gulzar
Rahat Indori
Anwar Masood
Allama Iqbal
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Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
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ज़िंदगी तुझ को जिया है कोई अफ़्सोस नहीं
दुनिया से वफ़ा कर के सिला ढूँढ रहे हैं
देखने वालो तबस्सुम को करम मत समझो
तेरे जाने में और आने में
तेरी आँखों में हम ने क्या देखा
मेरे दुख की कोई दवा न करो
कुछ तो दुनिया की इनायात ने दिल तोड़ दिया
दिल के दीवार-ओ-दर पे क्या देखा
ज़िक्र जब होगा मोहब्बत में तबाही का कहीं
पत्थर के ख़ुदा पत्थर के सनम पत्थर के ही इंसाँ पाए हैं
मिरी ज़बाँ से मिरी दास्ताँ सुनो तो सही