Ghazals of Suleman Khumar

Ghazals of Suleman Khumar
नामसुलेमान ख़ुमार
अंग्रेज़ी नामSuleman Khumar
जन्म की तारीख1944
जन्म स्थानBijapur

वो सर से पाँव तलक चाहतों में डूबा था

तुझ से बिछड़ूँ तो ये ख़दशा है अकेला हो जाऊँ

शनाख़्त मिट गई चेहरे पे गर्द इतनी थी

शायरी मज़हर-ए-अहवाल-ए-दरूं है यूँ है

रोज़ ओ शब इस सोच में डूबा रहता हूँ

न ढलती शाम न ठंडी सहर में रक्खा है

मुद्दत हुई राहत भरा मंज़र नहीं उतरा

क्यूँ मेरे दुख चुनते हो

कुछ नहीं है तो ये अंदेशा ये डर कैसा है

कोई दिया किसी चौखट पे अब न जलने का

कल रात मेरे साथ अजब हादिसा हुआ

कचोके दिल को लगाता हुआ सा कुछ तो है

जब तू मुझ से रूठ गया था

इस घनी शब का सवेरा नहीं आने वाला

इस एक सोच में गुम हैं ख़याल जितने हैं

हया भी आँख में वारफ़्तगी भी

गुज़रते लम्हों के दिल में क्या है हमें पता है

दश्त में ये जाँ-फ़ज़ाँ मंज़र कहाँ से आ गए

दश्त में घास का मंज़र भी मुझे चाहिए है

बीमार सा है जिस्म-ए-सहर काँप रहा है

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