Ghazals of Syed Kashif Raza
नाम | सय्यद काशिफ़ रज़ा |
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अंग्रेज़ी नाम | Syed Kashif Raza |
जन्म की तारीख | 1973 |
जन्म स्थान | Karachi |
ये कज-अदाई ये ग़म्ज़ा तिरा कभी फिर यार!
ये कैसी आया-ए-मोजिज़-नुमा निकल आई
वो याद कर भी रहा हो तो फ़ाएदा क्या है
वो सैर-ए-गुल के वास्ते आ ही नहीं रहा
उस पर निगाह फिरती रही और दूर दूर
तू मुझ को चाहता है इस मुग़ालते में रहूँ
था मगर इतना ज़ियादा तो जुनूँ-ख़ेज़ न था
तिरी जुदाई में ये दिल बहुत दुखी तो नहीं
तिरी आँखों को तेरे हुस्न का दर जाना था
तड़प भी है मिरी और बाइस-ए-सुकूँ भी है
सग-ए-जमाल हूँ गर्दन से बाँध कर ले जा
रंग से रास्ता सूरत से पता लेता हूँ
रद्द-ओ-कद के भी ब'अद रह जाए
क़रार दीदा-ओ-दिल में रहा नहीं है बहुत
पुल-ए-सिरात न था दश्त-ए-नैनवा भी न था
पहलू-ए-ग़ैर में दुख-दर्द समोने न दिया
निगह की शोला-फ़ज़ाई को कम है दीद उस की
मंसब-ए-इश्क़ से कुछ ओहदा-बरा मैं ही हुआ
ख़ुदा हुआ न कोई और ही गवाह हुआ
ख़ैर की नज़्र की है या शर की
जो साँस साँस सही उस सज़ा का नाम न लो
जो हो सका नहीं दरपेश उसे बनाता हुआ
इसी ख़याल से दिल की रफ़ू-गरी नहीं की
इस क़दर ग़ौर से देखा है सरापा उस का
हर एक चीज़ मयस्सर सिवाए बोसा है
फ़क़त क़याम का मतलब गुज़र-बसर कोई है
इक रोज़ ये सर-रिश्ता-ए-इदराक जला दूँ
दिल को तुम्हारे रंज की पर्वा बहुत रही
दिखाई देती है जो शक्ल वो बनी ही न हो
बेवफ़ा था तो नहीं वो, मगर ऐसा भी हुआ