आसमाँ Poetry (page 15)

ये किस से चाँदनी में हम ब-ज़ेर-ए-आसमाँ लिपटे

इंशा अल्लाह ख़ान

दस अक़्ल दस मक़ूले दस मुद्रिकात तीसों

इंशा अल्लाह ख़ान

पुकारते थे मुझे आसमाँ मगर मैं ने

इनाम नदीम

ज़मीं बिछाई यहाँ आसमाँ बुलंद किया

इनाम नदीम

फिर आस-पास से दिल हो चला है मेरा उदास

इम्तियाज़ अली अर्शी

सितारे सब मिरे महताब मेरे

इमरान शनावर

कभी पैरों से आँखों तक चुभन महसूस होती है

इमरान शमशाद

कुछ समझ कर उस मह-ए-ख़ूबी से की थी दोस्ती

इम्दाद इमाम असर

महफ़िल में उस पे रात जो तू मेहरबाँ न था

इम्दाद इमाम असर

अपनी जाँ-बाज़ी का जिस दम इम्तिहाँ हो जाएगा

इम्दाद इमाम असर

मैं सियह-रू अपने ख़ालिक़ से जो ने'मत माँगता

इमदाद अली बहर

ख़ुर्शीद फ़िराक़ में तपाँ है

इमदाद अली बहर

आहों से होंगे गुम्बद-ए-हफ़्त-आसमाँ ख़राब

इमदाद अली बहर

रिफ़अत कभी किसी की गवारा यहाँ नहीं

इमाम बख़्श नासिख़

रिफ़अत कभी किसी की गवारा यहाँ नहीं

इमाम बख़्श नासिख़

किसी की बात कोई बद-गुमाँ न समझेगा

इमाम अाज़म

किसी की बात कोई बद-गुमाँ न समझेगा

इमाम अाज़म

पहनाई

इज्तिबा रिज़वी

यूँ है तिरी तलाश पे अब तक यक़ीं मुझे

इफ़्तिख़ार नसीम

सितारों से भरा ये आसमाँ कैसा लगेगा

इफ़्तिख़ार आरिफ़

रविश में गर्दिश-ए-सय्यारगाँ से अच्छी है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

हमीं में रहते हैं वो लोग भी कि जिन के सबब

इफ़्तिख़ार आरिफ़

इल्तिजा

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ये नक़्श हम जो सर-ए-लौह-ए-जाँ बनाते हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

सितारों से भरा ये आसमाँ कैसा लगेगा

इफ़्तिख़ार आरिफ़

रविश में गर्दिश-ए-सय्यारगाँ से अच्छी है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

फ़ज़ा में वहशत-ए-संग-ओ-सिनाँ के होते हुए

इफ़्तिख़ार आरिफ़

तिरी गली से गुज़रने को सर झुकाए हुए

इदरीस बाबर

अपने एहसानों का नीला साएबाँ रहने दिया

इबरत मछलीशहरी

तिरी ज़मीं से उठेंगे तो आसमाँ होंगे

इब्राहीम अश्क

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