Sad Poetry of Abul Hasanat Haqqi

Sad Poetry of Abul Hasanat Haqqi
नामअबुल हसनात हक़्क़ी
अंग्रेज़ी नामAbul Hasanat Haqqi
जन्म स्थानKanpur

ये सच है उस से बिछड़ कर मुझे ज़माना हुआ

वो आ रहा था मगर मैं निकल गया कहीं और

ये इक और हम ने क़रीना किया

ये इक और हम ने क़रीना किया

तमाम हिज्र उसी का विसाल है उस का

शिकस्त-ए-अहद पर इस के सिवा बहाना भी क्या

शब को हर रंग में सैलाब तुम्हारा देखें

नुमू तो पहले भी था इज़्तिराब मैं ने दिया

नक़्श-ए-यक़ीं तिरा वजूद-ए-वहम बुझा गुमाँ बुझा

बे-नियाज़-ए-दहर कर देता है इश्क़

बे-नियाज़ दहर कर देता है इश्क़

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