सय्यद अाग़ा अली महर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सय्यद अाग़ा अली महर

सय्यद अाग़ा अली महर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सय्यद अाग़ा अली महर
नामसय्यद अाग़ा अली महर
अंग्रेज़ी नामSyed Agha Ali Mehr

कुछ और कोई अब्र-ए-बहारी को न समझे

वो बुत मुब्तला-तलब मेहर-तलब वफ़ा-तलब

वो बज़्म-ए-ग़ैर में बा-सद-वक़ार बैठे हैं

तूर-ए-दिल ख़राब बना पर बिगड़ गया

थी नज़ारे की घात आँखों में

सीने में आग आँख सू-ए-दर लगी रहे

साक़िया हो गर्मी-ए-सोहबत ज़रा बरसात में

रंगत उसे पसंद है ऐ नस्तरन सफ़ेद

नहीं दो क़ुब्बा-ए-पिस्तान शोख़-ओ-शंग सीने पर

कट गई रात सुब्ह होती है

हम ने जो उस की मिदहतों से कान भर दिए

होश का अंदाज़ा बे-होशी में है

हिज्र है दिल में ख़ाक उड़ती है

बे-जुर्म-ओ-बेगुनाह ग़रीब-उल-वतन किया

अपनी आँखों से जो वो ओझल है

अपना दुनिया से सफ़र ठहरा है

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