ये खुला जिस्म खुले बाल ये हल्के मल्बूस
तुम नई सुब्ह का आग़ाज़ करोगे शायद
Mir Taqi Mir
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Jaun Eliya
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पल-दो-पल
जिगर को ख़ून किए दिल को बे-क़रार अभी
तख़्लीक़
ठोकर से फ़क़ीरों की दुनिया का बिखर जाना
आप से उन्स हुआ चाहता है
मोहब्बत
दुश्मनों को मिरे हमराज़ करोगे शायद
ऐ दोस्त तिरी बात सहर-ख़ेज़ बहुत है
अत्तार के मस्कन में ये कैसी उदासी है
यूँ ख़बर किसे थी मेरी तिरी मुख़बिरी से पहले
दवाम