Love Poetry of Afroz Alam
नाम | अफ़रोज़ आलम |
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अंग्रेज़ी नाम | Afroz Alam |
कविताएं
Ghazal 18
Nazam 11
Couplets 3
Love 21
Sad 14
Heart Broken 18
Hope 19
Friendship 7
Islamic 2
ख्वाब 3
Sharab 1
पल-दो-पल
मोहब्बत
ख़याल
दवाम
बे-क़रारी
अक्स-बर-अक्स
यूँ ख़बर किसे थी मेरी तिरी मुख़बिरी से पहले
तू मेरी नींदें तलाशता है यही बहुत है
ठोकर से फ़क़ीरों की दुनिया का बिखर जाना
शम्स मादूम है तारों में ज़िया है तो सही
शबनम की तरह सुब्ह की आँखों में पड़ा है
फैले हुए ग़ुबार का फिर मो'जिज़ा भी देख
मौज-दर-मौज हवाओं से बचा लाऊँगा
जिगर को ख़ून किए दिल को बे-क़रार अभी
जगा जुनूँ को ज़रा नक़्शा-ए-मुक़द्दर खींच
जगा जुनूँ को ज़रा नक़्शा-ए-मुक़द्दर खींच
जब अपना साया ही दुश्मन है क्या किया जाए
हिसार-ए-दीद में रोईदगी मालूम होती है
गुज़रे लम्हात का एहसास हुआ जाता है
बड़ा ख़ुशनुमा ये मक़ाम है नई ज़िंदगी की तलाश कर
ऐ दोस्त तिरी बात सहर-ख़ेज़ बहुत है