Ghazals of Afroz Alam

Ghazals of Afroz Alam
नामअफ़रोज़ आलम
अंग्रेज़ी नामAfroz Alam

यूँ ख़बर किसे थी मेरी तिरी मुख़बिरी से पहले

तू मेरी नींदें तलाशता है यही बहुत है

ठोकर से फ़क़ीरों की दुनिया का बिखर जाना

शम्स मादूम है तारों में ज़िया है तो सही

शबनम की तरह सुब्ह की आँखों में पड़ा है

फैले हुए ग़ुबार का फिर मो'जिज़ा भी देख

मौज-दर-मौज हवाओं से बचा लाऊँगा

जिगर को ख़ून किए दिल को बे-क़रार अभी

जगा जुनूँ को ज़रा नक़्शा-ए-मुक़द्दर खींच

जगा जुनूँ को ज़रा नक़्शा-ए-मुक़द्दर खींच

जब अपना साया ही दुश्मन है क्या किया जाए

हिसार-ए-दीद में रोईदगी मालूम होती है

गुज़रे लम्हात का एहसास हुआ जाता है

दुश्मनों को मिरे हमराज़ करोगे शायद

बड़ा ख़ुशनुमा ये मक़ाम है नई ज़िंदगी की तलाश कर

अत्तार के मस्कन में ये कैसी उदासी है

ऐ दोस्त तिरी बात सहर-ख़ेज़ बहुत है

आप से उन्स हुआ चाहता है

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