वो मेरी राह में काँटे बिछाए मैं लेकिन
उसी को प्यार करूँ उस पे ए'तिबार करूँ
Javed Akhtar
Gulzar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Rahat Indori
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(730) Peoples Rate This
याद क्या क्या लोग दश्त-ए-बे-कराँ में आए थे
ख़याल-ओ-ख़्वाब से घर कब तलक सजाएँ हम
कुछ उस को याद करूँ उस का इंतिज़ार करूँ
मुँह अँधेरे घर से निकले फिर थे हंगामे बहुत
अज़ल अबद से बहुत दूर झूमते थे हम
ये तेरी चाह भी क्या तेरी आरज़ू भी क्या
नहीं मिलते वो अब तो क्या बात है
दिल तुझे पा के भी तन्हा होता
अजीब वहशतें हिस्से में अपने आई हैं
नित-नए रंग से करता रहा दिल को पामाल
तू मयस्सर था तो दिल में थे हज़ारों अरमाँ
क्यूँ हमारे साँस भी होते हैं लोगों पर गिराँ