सुकूत तोड़ने का एहतिमाम करना चाहिए
कभी-कभार ख़ुद से भी कलाम करना चाहिए
Javed Akhtar
Allama Iqbal
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Gulzar
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Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
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फ़ना के दश्त में कब का उतर गया था मैं
महकते फूल सितारे दमकता चाँद धनक
मैं था सदियों के सफ़र में 'अहमद'
कोई हैरत है न इस बात का रोना है हमें
ये तअल्लुक़ तिरी पहचान बना सकता था
हवा के हाथ पे छाले हैं आज तक मौजूद
जिस समय तेरा असर था मुझ में
उन को में कर्बला के महीने में लाऊँगा
तू जो ये जान हथेली पे लिए फिरता है
मिरे अंदर रवानी ख़त्म होती जा रही है
बस चंद लम्हे पेश-तर वो पाँव धो के पल्टा है
उसे इक अजनबी खिड़की से झाँका