इस क़दर पुर-ख़ुलूस लहजा है
उस से मिलना है उम्र भर जैसे
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Gulzar
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Love Poetry
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Sad Poetry
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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नगर नगर में नई बस्तियाँ बसाई गईं
हर क़दम पर मेरे अरमानों का ख़ूँ
है मेरा चेहरा सैकड़ों चेहरों का आईना
जलती बुझती सी रहगुज़र जैसे
इक मैं हूँ कि लहरों की तरह चैन नहीं है
मुझ को मिरे वजूद से कोई निकाल दे
प्यार किया था तुम से मैं ने अब एहसान जताना क्या
महसूस कर रहा हूँ तुझे ख़ुशबुओं से मैं
न जाने कितने मराहिल के ब'अद पाया था
ज़रा सुकून भी सहरा के प्यार ने न दिया
वो ख़्वाब सा पैकर है गुल-ए-तर की तरह है