बरसात थम चुकी है मगर हर शजर के पास
इतना तो है कि आप का दामन भिगो सके
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हमारी साँसें मिली हैं गिन के
लहर से लहर का नाता क्या है
सब के आँगन झाँकने वाले हम से ही क्यूँ बैर तुझे
काग़ज़ की नाव हूँ जिसे तिनका डुबो सके
ये किस करनी का फल होगा कैसी रुत में जागे हम
घर घर आपस में दुश्मनी भी है
शब-रंग परिंदे रग-ओ-रेशे में उतर जाएँ
नींद को लोग मौत कहते हैं
रोज़ ओ शब बेच दिए हैं मैं ने
शीशे शीशे को पैवस्त-ए-जाँ मत करो