शाम आई है लिए हाथ में यादों के चराग़

शाम आई है लिए हाथ में यादों के चराग़

वो तिरे साथ गुज़ारे हुए लम्हों के चराग़

मेरे इस घर में अँधेरा कभी होता ही नहीं

हैं मिरे सीने में जलते हुए ज़ख़्मों के चराग़

लाख तूफ़ान हों कुटिया मिरी रौशन ही रही

एक बरसात से बुझने लगे महलों के चराग़

ज़िंदगी तल्ख़ हक़ीक़त की है अंधी सी गली

अपनी आँखों में जलाते रहो सपनों के चराग़

एक मुद्दत से धधकता रहा मेरा ये ज़ेहन

तब कहीं जा के फ़रोज़ाँ हुए लफ़्ज़ों के चराग़

ख़ुद का ही नूर किया करता है रौशन दिल को

रौशनी तुझ को भला कैसे दें ग़ैरों के चराग़

सारी दुनिया को ख़ुदा एक ही सूरज दे दे

काश बुझ जाएँ ज़माने से ये फ़िर्क़ों के चराग़

अब तो जम्हूर की ताक़त का ही सूरज है 'सहाब'

अब ज़माने में कहाँ जलते हैं शाहों के चराग़

(988) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Sham Aai Hai Liye Hath Mein Yaadon Ke Charagh In Hindi By Famous Poet Ajay Sahaab. Sham Aai Hai Liye Hath Mein Yaadon Ke Charagh is written by Ajay Sahaab. Complete Poem Sham Aai Hai Liye Hath Mein Yaadon Ke Charagh in Hindi by Ajay Sahaab. Download free Sham Aai Hai Liye Hath Mein Yaadon Ke Charagh Poem for Youth in PDF. Sham Aai Hai Liye Hath Mein Yaadon Ke Charagh is a Poem on Inspiration for young students. Share Sham Aai Hai Liye Hath Mein Yaadon Ke Charagh with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.